संत कबीर दास का जीवन परिचय PDF। Sant kabir Das ka jivan parichay in hindi, Class10

संत कबीर दास का जीवन परिचय PDF, Sant kabir Das ka jivan parichay in hindi, Class10, संत कबीर दस का जीवन परिचय,बताइए,इन हिंदी PDF, कवी कबीर की जीवनी Kabir das ki jivni,hindi mein, kabir das ka jivan parichay in hindi, biography, Fact About Sant Kabir, जीवन परिचय 300 शब्दों में, कबीर दस का जीवन दर्शन, पिता का नाम,के दोहें, Ki Jeevan Parichay in hindi, कबीर दस की रचना, की कहानी, कक्षा10 हिंदी, काव्य संकलन, Kabir das hindi, upboard hindi, Class10, Wife,kabir das ka jivan parichay, kabir das project file in hindi pdf, कबीर दास का जीवन परिचय इन हिंदी pdf, कबीर का जीवन परिचय pdf

कबीर दास का जीवन परिचय: हम आज कक्षा 9 aur कक्षा 10 में पूछा जाने वाला जीवनी, कबीर दास  की जीवनी पढ़ेंगे, 

संत कबीर दस का जीवन परिचय,बताइए,इन हिंदी PDF, कवी कबीर की जीवनी Kabir das ki jivni,hindi mein, kabir das ka jivan parichay in hindi, biography, Fact About Sant Kabir, जीवन परिचय 300 शब्दों में, कबीर दस का जीवन दर्शन, पिता का नाम,के दोहें, Ki Jeevan Parichay in hindi, कबीर दस की रचना, की कहानी, कक्षा10 हिंदी, काव्य संकलन, Kabir das hindi, upboard hindi, Class10, Wife
संत कबीर दास का जीवन परिचय

संत कबीर दास की संक्षिप्त जीवनी

नामकबीर दास 
जन्मसन 1398  विक्रमी सम्वत 1455
जन्म स्थानउत्तर प्रदेश के वाराणसी के लहरतारा नमक गांव में
माता का नामनीमा (जुलाहे)
पितानिरु (जुलाहे)
गुरु का नामरामानंद
कालभक्ति काल
कर्मसाहित्य कवी, समाज सेवक
भाषाअवधि, सघुककडी
साहित्य1 सबद  2 साखी  3 रमैनी 4 बीजक 5 सारतत्व
रचनाएंकबीर:  शब्दावली, कबीर दोहावली, अमर मूल ,अनुराग सागर 
पत्नी का नामलोई
मृत्युसन 1494 विक्रमी संवत1518 को हुई
कबीर दास संक्षिप्त जीवन परिचय

कबीर दास की जीवनी(कबीर का जीवन परिचय pdf)

कबीर दास  एक समाज सुधारक, कवि  और संत थें,कबीर  दास(kabir das) जी का जन्म ई1398  संवत1455 को उत्तेर प्रदेश के वाराणसी में लहरतारा नाम के एक गांव में हुआ था, वैसे कबीर के जन्म के सम्बद्ध में स्पष्ट  नहीं है कि वह कहाँ जन्मे कुछ विद्वान् इनका जन्म बस्ती जिला मानते हैं तो कुछ आज़मगढ़ ज़िले का बिलहरा गांव मानते है, हिंदी साहित्य के इस महान भक्ति काल के कवी के बारें में कहा जाता है कि इनको जन्म देने वाली विधवा ब्राह्मणी थी

जिनको गुरु रामानंद स्वामी द्वारा पुत्र प्राप्त होने का वरदान मिला था, वह पुत्र कबीर दास ही थे, उनकी माता ने सोचा कि लोग उन पर लांछन लगाएंगे इस लिए उनकी माता लाज लज्जा के कारण उनको कशी के तालाब के किनारे छोड़ दिया, एक मुस्लिम जुलाहा(बुनकर) दम्पति को कबीर दास तालाब के किनारे मिले जिनका नाम निरु और नीमा था, उन्होंने इनका पालन पोषण किया, इसलिए कबीर दास पेशे से बुनकर थें, 

कबीर दास हिन्दू थे या मुस्लिम इस पर भी मतभेद है, इनके जन्म के विषय में कहा जाता है की वो जन्म से मुस्लिम थे परन्तु कही पर कहा जाता है की माता हिन्दू ब्ब्राह्मणी थी,इसलिए वह हिन्दू थे, लोग कुछ भी कहते हों लेकिन कबीर दस हिन्दू और मुस्लिम दोनों को ही अपना भाई मानते थे,  कबीर दास ने जाति पाती का हमेशा विरोध किया है 

कबीर दास एक समज सुधारक थे, कबीर दास के गुरु का नाम रामानंद था, कबीर ने अपने जीवन को कशी में ही लोगो की सेवा में लगा दिया, कबीर दास का काशी में 120 वर्ष की आयु में 1518 ई.पू- (अनुमानित) को स्वर्गवास हो गया 

विवाह 

इनका विवहा बचपन में ही हो गया था, कबीर दास की पत्नी का नाम लोई है,इनकी दो संतान थी, इनके पुत्र का नाम कमल और पुत्री का नाम कमली था,

कबीर दास शिक्षा 

कबीर दास निरक्षर थे( पढ़े लिखें नहीं) थे वह दूसरे बच्चों से  अलग थे, कबीर दस की खेल कूद में रुचि नहीं थी पिता जी उनको मदरसा न भेज सके,उनके कोई साधन नहीं था, इस कारण वह किसी शिक्षा संस्था नहीं जा सके कबीर दास  खुद ग्रन्थ नहीं लिखा करते थे बल्कि उनके शिष्य लिखा करते थे, उन्होंने ने ज्ञान का भण्डार अपने  गुरु से प्राप्त किया    

काव्य रचनाएँ 

कबीर दास की काव्य रचना 3 खंड में विभाजित है 

1 सबद, 2 रमैनी 3 साखी

अन्य रचनाएँ 

भेष का अंग 

कमी का अंग 

बीत गए दिन भजन बिना रे

माया का अंग 

निति के दोहें 

बेसास का अंग

गुरुदेव का अंग 

 कबीर के पद 

बहुरि नहि आवना या  देस   

कबीर दास ने लगभग 61 ग्रन्थ लिखें हैं, परन्तु यह प्रमाणित रूप से सिद्ध नहीं है 

कबीर दास के गुरु कौन थे 

उनके गुरु कौन थे इस पर भी मत भेद है, उनके गुरु रामानंद जी थे इस बात की पुष्टि उन्ही के दोहे से होती है 

            “कशी में हम प्रगट भय रामानंद चेताए”

इस दोहे में कबीर दस ने खुद बतया है के उनके गुरु रामानंद जी थे, रामानंद जी श्रेष्ठ गुरु थे और कबीरदास जी की इच्छा थी कि रामानंद जी उनका अपना शिष्य के रूप में स्वीकार करें, परन्तु रामानंद जी ने उन्हें अपना शिष्य बनाने से इंकार कर दिया था , कबीर दास थोड़ा उदास हुए मगर उन्होंने दृण निश्चय किया कि वो अपना गुरु महान गुरु रामानंद को ही बनाएंगे, फिर कबीर दास किस प्रकार रामानंद जी को मनाए उन्हें एक उपाए आया,

रामानंद प्रतिदिन सुबह घाट पर स्नान के लिए जाते थे , कबीर दास पहले ही वहाँ  सीढ़ियों पे लेट गए, जब रामनन्दन स्नान  आगे बढ़ें और सीढ़ियों पर पैर  रखा तो अंधेरे के कारण वह देख न सके और कबीर दास के शरीर पर पैर रख दिया, और कबीर दास के मुख से राम राम निकला, राम नाम का शब्द सुन कर रामानंद प्रसन्न हो गए जिस कारण कबीर दास को अपना शिष्य बना लिया 

भाषा शैली 

कबीर दास की भाषा शैली भोजपुरी, अवधि, राजस्थनी,अरबी फ़ारसी, पंजाबी भाषा को आप इनकी रचना में देख सकते हैं 

राम चंद्र शुक्ल, इनकी भाषा को एक अलग नाम से पुकारते हैं वह इनकी भाषा शैली को’ सधुक्कड़ी” कहते हैं, इनकी कई आलोचचक इनकी भाषा को पंचमेल खिचड़ी कहते है, यानि भाषाओं का मिश्रण

कबीर दास के दोहें   

जीवन में मरना भला, जो मरि जानै कोय |

मरना पहिले जो मरै, अजय अमर सो होय | |

अर्थ

कबीर दास कहते है अगर कोई मरना जाने तो जीते जी मरना अच्छा है, जो मरने से पहले अमर जाता है वह अजय अमर हो जाता है

भक्त मेरे क्या रोइये, जो अपने घर जाये |

रोइये सकत बपुरे, हाटों  हाट बिकाय | |

जिसने अपने विनाशी घर को पा लिया, इस प्रकार के संत भक्त के शरीर छोड़ने पर क्यों रोते हैं,जो बेचारे अभक्त और अज्ञानी  होते हैं बिकने जा रहें है 

कबीर दास संक्षिप्त जीवनी परिचय

कबीर दास का जन्म सन 1398  विक्रमी सम्वत 1455 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में लहारतारा में हुआ था यह हिंदी साहित्य के राम भक्ति के कवी थे,इनकी माता विधवा थी जिनको वरदान पुत्र होने का वरदान मिला था फलस्वरूप कबीर दास का जन्म हुआ, इनकी माता ने लज्जा के कारन इन्हे तालाब के किनारे छोड़ गयी थी, एक मुस्लिम दंपत्ति निरु और नीमा को कबीरदास तालाब के किनारे मिले, उन्होंने ही इनका पालन पोषण किया,

कबीर का जीवन परिचय PDF in short? आपको हमारे टेलीग्राम चैनल पर मिल जायेगा नीचे दिए गए लिंक पर जाएँ  kabir das project file in hindi pdf download करें

कबीर का जीवन परिचय pdf

लखनऊ की भूल भुलैया का इतिहास यहाँ पढ़ें

इनका विवाह बचपन में ही हो गया था इनकी  पत्नी का नाम लोई है  यह निरक्षर(पढ़े लिखे नहीं) थे, कबीर दास ने अपने गुरु रामानंद से शिक्षा प्राप्त की, इनकी भाषा शैली, अवधि, पंजाबी, भोजपुरी,अरबी और फ़ारसी है, इनकी भाषा को पंचमेल खिचड़ी भी कहा जाता है विक्रमी संवत1518 को इनकी मृत्यु उत्तर प्रदेश के मगर में हुई

खण्ड : 1 साखी 2 सबद 3 रमैनी 

प्रमख रचनाएँ

कबीरदास की निम्नलिखित रचनाये हैं 

कबीर के पद

भेष का अंग 

कमी का अंग 

बीत गए दिन भजन बिना रे

यह भी पढ़ें

शिक्षक दिवस  कब, क्यों मनाया जाता है जाने इतिहास

लूलू माल की पूरी जानकारी

अन्य पढ़ें

गौतम अडानी का जीवन परिचय

दिग्गज नेता असदुद्दीन ओवैसी कितना पढ़ें हैं, बायोग्राफी

लेंसकार्ट के फाउंडर पियूष बंसल का जीवन परिचय

कुछ शब्द 

उम्मीद करते हैं आपको हमारी जानकारी संत कबीर दास का जीवन परिचय  आपकी पढ़ाई में मदद करेगी (Sant kabir Das ka jivan parichay in hindi) पसंद आया हो तो कृपया हमारी वेबसाइट samad gyan को Subscribe करें और अपने दोस्तों से  शेयर करें,

हमारी ब्लॉग में किसी भी प्रकार की ग़लती के लिए हमें बताएं जिससे हम उसे अपडेट कर सकें 

कबीर दास का जन्म कब हुआ था?

कबीर दास का जन्म ई1398 संवत1455 को हुआ था

कबीर दास की 3 रचनाओं के नाम

बेसास का अंगगुरुदेव का अंग 
कबीर के पद 

कबीर दास की पत्नी का नाम

कबीर दास की पत्नी का नाम लोई है

कबीर की मृत्यु कब हुई

संवत1518 को हुई

Leave a Comment

Elon Musk जब इंसानी दिमाग़ में लगाएंगे चिप | Neuralink brain Chip क्या आप का भी नाम वोटर लिस्ट से गायब, नगर निकाय चुनाव 2023 UP board Result 2023 जारी, इन विद्यार्धियों ने मारी बाज़ी Csk ऋतुराज गायकवाड़ ने बनाया रिकॉर्ड | Ruturaj Gaikwad biography सन ऑफ़ बिहार मनीष कश्यप जीवन से जुडी रोचक जानकारी,