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रूमी दरवाजा लखनऊ-इतिहास | Lucknow Romi Gate in Hindi
स्थान | लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत |
कब बना | सन् 1784 से सन् 1785 तक बन कर तैयार हुआ |
ऊंचाई | 18 मी (60 फ़ीट) |
किसने बानवाया | नवाब आसिफुद्दौला |
रूमी दरवाज़ा लखनऊ के लोगो के रूप में प्रसिद्द है
रूमी दरवाज़ा इतिहास
##आज हम जिस एतिहासिक इमारत के बारे में बात कर रहें हैं यह न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध है नवाब आसिद्दौला ने सन् 1775 में लखनऊ को मरकज़ ए मसनद बना लिया था, रूमी दरवाजा/रूमी गेट का निर्माण काम 1784 में नवाब आसिद्दौला द्वारा शुरू कराया गया जो सन् 1785 में बनकर तैयार हो गया, इसको बनाने में उस वक्त 1 करोड़ की लागत आई थी रूमी दरवाज़ा को तुर्किश द्वार के नाम से भी जाना जाता है
रूमी दरवाज़ा क्यों बना
रूमी दरवाज़ा बनवाने का कारण यह था कि उस अवध में अकाल पड़ा हुआ था, अवध लखनऊ को ही कहा जाता था, लोगों को रोज़गार मिल सके इसलिए आसफ़उद्दौला ने इन इमारतों की विस्तृत योजना बनाई थी।
रूमी दरवाज़ा कहां स्थित है
रूमी दरवाज़ा भारत में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हुसैनाबाद में छोटा इमामबाड़ा और बड़ा इमामबाड़े के बीच बना हुआ है
रूमी दरवाज़ा के बारे में
रुमी दरवाज़े को तुर्किश द्वार भी कहा जाता है, रूमी दरवाज़े का नाम इटली के शहर रोम पर पड़ा है
लेकिन कुछ लोगो का मन्ना है के रूमी दरवाज़े का नाम मशहूर सूफी संत जलालुद्दीन रूमी के नाम पर पड़ा जो अफगानिस्तान के थे बाद में रोम चले गए
रूमी दरवाजा कहां स्थित है
लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत में
तुर्किश द्वार किसे कहते हैं
लखनऊ के रूमी दरवाज़े को
लखनऊ की क्या चीज मशहूर है?
रूमी दरवाज़ा, इमाम बड़ा, भूल भुलैय्या, घंटा घर, रेज़ीडेंसी और लखनऊ का खाना
Q रूमी गेट कब बना था?
A रूमी दरवाज़े का निर्माण कार्य 1784 में शुरू हुआ था और ये करीब 1785 तक बन कर तैयार हुआ था, जो आज लखनऊ और पुरे भारत ऐतिहासिक की निशानी है
Q रूमी दरवाजा कितना पुराना है?
A रूमी दरवाज़ा लगभग 300 साल पुराना है